(जनशक्ति खबर) पास्को और महिला उत्पीड़न केस में बक्सर महिला थाना नहीं करती निष्पक्ष जांच, लगातार फंस रहें हैं बेगुनाह, इसलिए कर रहे है आत्महत्या : शाहाबादी


 पास्को और महिला उत्पीड़न केस में बक्सर महिला थाना नहीं करती निष्पक्ष जांच, लगातार फंस रहें हैं बेगुनाह, इसलिए कर रहे है आत्महत्या : शाहाबादी 

पढ़े पूरा उपेन्द्र सिंह का रिपोर्ट।

बक्सर  

पूरे देश में सबसे ज्यादा फर्जी केस पास्को एक्ट और एससी एसटी एक्ट में दर्ज हो रहा हैं जो न्यायलय में जा कर फर्जी भी साबित हो जा रहा हैं, पर हमारे बक्सर की बात ही निराली हैं। यहां बक्सर महिला थाना में अगर कोई फर्जी केस भी दर्ज हो गया तो पुलिस उस केस की घटना और आरोपी की सत्यता की जांच किए बिना ही निर्दोषों को जेल भेजकर सजा दिलवाया जा रहा हैं। और निर्दोष यूवा निर्दोष होते हुए अपनी लोक लाज से डर कर आत्महत्या कर रहे हैं या करने का प्रयास हैं। इसका ताजा उदाहरण कल गुरुवार को शाम को बक्सर जिला के कृष्णाब्रह्म थाना क्षेत्र निवासी नाबालिक युवक औरंगाबाद  सुधार गृह में फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया गया। परिजनों के अनुसार उक्त युवक को गिरफ्तारी के बाद बहुत ज्यादा पिटाई की गई थी। उक्त बातें जनशक्ति संगठन के संयोजक सह राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र सिंह शाहाबादी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा । श्री शाहाबादी ने आगे बताया कि इसी तरह करीब एक माह पहले बक्सर जेल में पास्को केस का आरोपित एक  युवक द्वारा अपनी गला काटकर आत्महत्या का प्रयास किया गया था।

यह लगातार हो रहा हैं क्योंकि पास्को केस में निर्दोष फंसे युवकों द्वारा अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए निष्पक्ष जांच की लगातार गुहार लगाने के बाद भी बक्सर महिला थाना अध्यक्ष द्वारा कोई जांच नही की जाती हैं। और बिना सबूत और गवाह का निर्दोष आरोपित युवाओं पर फर्जी केस डायरी और चार्जशीट दाखिल कर सजा की तरफ मौत के मुंह में धकेल दिया जाता हैं। जिससे निर्दोष यूवा बेगुनाह होते हुए भी लोक लाज की डर से आत्महत्या जैसे घोर अपराध कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहे हैं।

बक्सर महिला थाना अध्यक्ष की केस की जांच की कार्य शैली देखकर कोई भी देख कर दंग और अवाक रह जायेगा। जैसे महिला थाना कांड संख्या 50/2022 में गजब की केस डायरी ( जांच रिपोर्ट) केस की अनुसंधान तैयार कर माननीय न्यायलय में प्रस्तुत किया गया हैं। प्रस्तुत केस डायरी के अनुसार 20 अगस्त 2022 को रात्रि 9 बजकर दस मिनट पर दर्ज की गई कांड संख्या 50/2022 में केस की अनुसंधानकर्ता सह थानाध्यक्ष कंचन कुमारी जांच करने को रात्रि 9 बजकर 50 मिनट पर महिला थाना से निकली जो मात्र दो घंटा में जांच कर वापस थाना आ गई। इस दौरान मात्र दो घंटा में महिला थाना से निकलकर पीड़िता की मेडिकल जांच के लिए बक्सर में ही सदर अस्पताल गई, उसके बाद वहा पीड़िता को छोड़कर बक्सर से 35 km दूर मुरार थाना पहुंच कर थाना पर प्रतिवेदन दे साथ में मुरार थाना को लेकर बगल के गांव में घटना स्थल पर जाकर निरीक्षण की जिसकी जानकारी किसी भी पड़ोसी को न लगी, फिर उस गांव के तीन नामजद आरोपी के अलग अलग मुहल्लो में स्थित 3 घरों में जाकर रात्रि में ही सघन छापेमारी की, किसी भी आरोपी के न मिलने पर उनके संभावित ठिकानों पर छापेमारी की। फिर किसी भी आरोपी के न मिलने पर घटना स्थल से 15km दूर वापस डुमरांव थाना आई। डुमरांव थाना में प्रतिवेदन दे डुमरांव थाना को साथ ले कर वहा दो आरोपी के दो घरों में सघन छापेमारी की, आरोपी के न मिलने पर उनके अन्य संभावित ठिकाने पर छापेमारी की। किसी भी आरोपी के न मिलने पर वहा से 22, 23 km दूर वापस बक्सर सदर अस्पताल आई और साथ में पीड़िता को साथ ले कर वापस महिला थाना आई मात्र 120 मिनट में।

मात्र 120 मिनट की समय में करीब 80 km की दूरी तय करते हुए पीड़िता की मेडिकल कराते हुए दो दो थानों को प्रतिवेदन देते हुए घटना स्थल का निरीक्षण करते हुए करीब 10 जगहों पर सघन छापेमारी कर लेना किसी इंसान की बस की बात नहीं, ऐसा या तो एलियन कर सकते है या रोबोट। जबकि इसी केस के आरोपित युवाओं के परिजन के द्वारा बेगुनाही की जांच के लिए बार बार दी गई आवेदन पर कोई जांच नही की गई हैं।

और ऐसी जांच रिपोर्ट सिर्फ झूठ का पुलिंदा ही हो सकता हैं। ऐसी ही झूठी जांच रिपोर्ट तैयार कर बेगुनाह युवाओं को लगातार फंसाया जाता हैं जिससे तंग आकर निर्दोष आरोपित आत्महत्या कर रहे हैं। बक्सर पुलिस अधिक्षक से हमारी मांग है कि ऐसे लापरवाह थानाध्यक्ष को अविलंब हटाया जा ताकि पॉस्को जैसे संगीन केस की निष्पक्षता से जांच हो और पीड़िता के साथ साथ पीड़िता को भी न्याय मिल सका। वही मुख्यमंत्री के जांच का आदेश के बाद भी जांच को दबा दिया गया। वही कोर्ट में लडकी के पिता ने बयान दिया था की मैं केवल साइ


न किया था थाना प्रभारी ने आवेदन को लिखवाया था।

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