(जनशक्ति खबर) जिला के सरकारी स्कूलों में पठन, पाठन की कुब्यवस्था से अब छात्रों की भविष्य कोचिंग के सहारे।
(बक्सर) एक तरफ सूबे की सरकार शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रही है। स्कूल की व्यवस्था सुधारने के लिए साइकिल और मधयान भोजन जैसी योजनाएं लागू की है ताकि छात्रों की पढ़ाई की व्यवस्था अच्छी हो लेकिन जिले में विभागीय लोगो की लापरवाही के चलते स्कूलों की पठन पाठन की व्यवस्था बिलकुल चौपट हो गई है। जिले के बहुत सारे एसे स्कूल है जहां शिक्षक समय से नही आते है। बहुत सारे ऐसे स्कूल हैं जहां स्कूल के प्रधनाध्यापक और शिक्षक की मिलीभगत उनकी छुट्टियां का आवेदन लगा होता है। स्कूल के प्रधानाध्यापक की ड्यूटी बस मध्यान भोजन तक सीमित रहती है। सबसे ज्यादा चौपट व्यवस्था जिले के हाई स्कूलों की है। बहुत हाई स्कूलों में न शिक्षक समय पर आते है न स्कूलों की सभी घंटियों में पढ़ाई नही होती लिहाजा छात्र अपना भविष्य संवारने के लिए कोचिंग के तरफ रुख ले रहे है। जिसका खास उदाहरण है इंटर उच्चस्तरीय विद्यालय चौगाईं। जहां न शिक्षक समय पर आते है न पढ़ाई हो पाती है।लिहाजा चौगाईं में कोचिंग चाय की दुकानों की तरह गलियों में फल फूल रहा है। यहां के शिक्षक नही सुधरने की कसमें खा ली है।सबसे बड़ी बात ये है की स्कूल के प्रधानाध्यापक तक रोजाना नही आते है।पूर्व में यहां के शिक्षकों पर लापरवाही के आरोप में स्कूल के सभी शिक्षकों को पूर्व जिलाधिकारी रमण कुमार ने वेतन तक बंद किए थे। अब छात्रों की निगाहे जिले के नए जिलाधिकारी पर टिकी हुई है ताकि जिले के बिगड़ती शिक्षा व्यवस्था ठीक हो।
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