वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना के लिए मिलकर संघर्ष करना होगा : शाहाबादी

लोगों ने उनके विचारों को सुना, दिल से अपनाया और देखते ही देखते कुछ ही दिनों में लगभग पूरे विश्व से राजतंत्र को समाप्त कर दिया गया कि अब सिर्फ आम जनता का शासन चलेगा, ""लोकतंत्र"" चलेगा। जो सिर्फ जनता के द्वारा चुनी हुई जनता की ही सरकार होगी जो सिर्फ जनता के हित में ही कार्य करेगी।
यह नारा, मिशन व कार्य तो अच्छा था । पर समय के साथ यह भ्रांति दूर हो गई कि आज की प्रचलित शासन तंत्र जो वर्तमान लोकतंत्र है इसमें जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार जो जनता का ही होगी जो सिर्फ जनता के हित के लिए कार्य करेगी। यह शुरुआती मिशन अब फेल हो गया हैं। अब न तो जनता की चुनी हुई सरकार होती है न जनता की सरकार है न जनता के हित की सरकार है। अब तो परोक्ष रूप से फिर से शासन और शासन तंत्र पर पूंजीपतियों का ही नियंत्रण हैं, पूंजीपतियों के ही हाथों में सत्ता हैं। पूंजीपति ही पार्टी चलाते हैं, पूंजीपति ही उम्मीदवार बनते हैं, जीतते है और पूंजीपति ही सरकार बनाते हैं। सत्ता तो पूंजीपतियों के हाथों में ही हैं, हा राजघराने के बदले पार्टी बन गई है। और यह किसी एक देश की नहीं बल्कि पूरे विश्व में यही हाल हैं, हर जगह , करीब करीब हर देश में सत्ता व सत्ता तंत्र पर पूंजीपतियों का ही कब्जा हैं। आम जनता ठगा हुआ ही महसूस कर रही है। आम जनता के हित में न कोई देश की सरकार है न कोई पूंजीपति न कोई राजनेता।
आज फिर एक बार लोकतंत्र की व्याख्या करने का समय आ गया हैं कि क्या वर्तमान शासन पद्धति ही लोकतंत्र है या प्रजातंत्र हैं जो छद्म रूप से यह राजतंत्र का ही रूप हैं। यह सोचने की, विचार करने व निर्णय करने की समय हैं।
हमे तो लगता हैं कि वर्तमान शासन पद्धति लोकतंत्र न होकर छद्म रूप से राजतंत्र ही हैं जिसमें पूंजीपतियों के हाथ में सत्ता व सत्तातंत्र हैं और आम जनता राजतंत्र की भांति सिर्फ प्रजा बन कर रह गई हैं। जनता का महत्व सिर्फ चुनाव के समय ही रह गई हैं बाकी समय आम जनता सिर्फ प्रजा की भांति घुटन महसूस कर रही हैं। इसीलिए मेरे विचार से यह वर्तमान शासन पद्धति पूर्व की राजतंत्र की भांति छद्म रूप से राजतंत्र ही हैं जिसे आज हम प्रजातंत्र भी कहते हैं और कह सकते हैं। पर इसे कदापि लोकतंत्र नहीं कह सकते, क्योंकि लोकतंत्र में आम जनता मस्त रहेगी ना कि सिर्फ घुटन महसूस करेगी। और आज पूरे विश्व में सिर्फ पूंजीपतियों को छोड़कर सभी आम जनता सिर्फ घुटन ही महसूस कर रही हैं।
जब शासन की पद्धति लोकतंत्र हैं तो लोगों पर सिर्फ टैक्स ही टैक्स क्यों लगा हैं। आज आम जनता सिर्फ टैक्स की मार से धराशाई हो चुकी हैं। अगर शासन पद्धति लोकतंत्र लागू होता जिसमें सत्ता का मालिक आम जनता होती तो लोगो को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता, बिल्कुल टैक्स मुक्त देश होता, निशुल्क शिक्षा, निशुल्क चिकित्सा का व्यवस्था होता। पूंजी निजी हाथों में न होकर सरकार के हाथों में होती। उद्योग धंधे पर सरकार का नियंत्रण होती। आम जनता को गलत जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का "' राईट टू रिकॉल"" का अधिकार लागू होता जिससे, आम जनता का महत्व सिर्फ चुनाव के समय न होकर हर समय रहता। ऐसी व्यवस्था रहने पर ही ""लोकतंत्र"" कहा जाएगा। और ऐसी व्यवस्था कहीं हैं नहीं, जो हैं उसे सिर्फ छद्म राजतंत्र या प्रजातंत्र ही कहा जा सकता हैं। पर इसे कदापि लोकतंत्र या जनतंत्र नहीं कहा जा सकता हैं।
आम जनता जो विभिन्न धर्म, जाति, क्षेत्र व भाषा के होते हुए भी सद्भावना के साथ प्रेम - पूर्वक एक साथ रहते है। जो सदा समाज व राष्ट्र की मजबूती, उन्नति व खुशहाली के लिए निरंतर कार्य करते हैं, पर सत्ता के ख्वाब देख रहे कुछ विभाजनकारी शक्तियों के अभ्युदय से राष्ट्र व समाज दोनों को खतरा दिख रहा है, क्योंकि इनका उदय ही आम जनता को जाति - धर्म, क्षेत्र व भाषा के नाम पर खंड - खंड कर मतलब निकाल सिर्फ सत्ता पर पहुंचना होता हैं। और सत्ता पर पहुंचकर इसी जनता का दोहन व शोषण करना होता है। और जो सत्ता में पहुंचते है वो निरंतर ऐसा ही करते हैं। जिससे धरातल पर आम जनता में क्रोध,अवसाद, असुरक्षा की भावना पनपती रहती हैं। और आज आम जनता बिल्कुल बेहाल हैं। क्योंकि लोकतंत्र पद्धति से शासन तो हो नहीं रहा हैं, आज राजतंत्र की ही भांति वंशवाद को आगे बढ़ाया जा रहा है, आम जनता व जनता के समस्याओं की चिंता किसी भी पूंजीवादी सत्ताधीशों को नहीं हैं। जबकि आम जनता के मेहनत के बदौलत ही किसी भी राष्ट्र की की उन्नति होता है, समाज व राष्ट्र विकसित होता हैं। आम जनता का एक बड़ा भाग जो किसान व मजदूर के रूप में हैं। इन पूंजीपतियों के द्वारा हमेशा शोषण व दोहन किया जा रहा हैं, इनके परिश्रम का न तो सम्मान हो रहा हैं न उचित मजदूरी दी जा रही हैं। जबकि जिस दिन ये किसान व मजदूर वर्ग हाथ खड़ा कर देंगे तब देश का बांट लग जाएगा, कंपनियां बंद हो जाएगी, लोग भूखे मरने लगेंगे।
ये AC में रहने वाले सत्ताधीश व पूंजीपति प्राकृत की छांव ( सर्दी, गर्मी, बरसात) में रहने वाले किसान - मजदूर व आम जनता की कोई चिंता नहीं करते क्योंकि यह शासन पद्धति ही छद्म रूप से राजतंत्र या प्रजातंत्र हैं जिसमें प्रजा को सिर्फ घुटन ही महसूस होती रहेगी। चांदी तो सिर्फ पूंजीपतियों की ही रहेगी, चाहे वो पूंजीपति उद्योगपति हो या राजनेता हो या नौकरशाह हो या सरकारी अधिकारी या कर्मचारी हो। समाज में पूंजीपतियों की चांदी व वर्चस्व देखकर आज होड़ मची हैं किसी तरह पूंजीपति बनने की चाहे रास्ता गलत ही क्यों न हो। और इसी पूंजीपति बनने की होड़ के द्वारा समाज में अपराध व भ्रष्टाचार को जन्म दिया हैं जो आज समाज व राष्ट्र का प्रमुख समस्या बन गई है जिससे निजात पाना अति आवश्यक है। अगर आज शासन पद्धति लोकतंत्र लागू रहता, जनता का सरकारी कार्यालयों में इज्जत होती, हर समय जनता का क्रोध रूपी तलवार राजनेताओं पर लटकी रहती तो आज भ्रष्टाचार इतना मजबूत नहीं हुआ होता, पूंजीपति बनने की होड़ न मची होती। लोग सिस्टम से कमाते खाते व मस्त रहते। पर ऐसा हैं नहीं।
आज जरूरत हैं आम जनता को संगठित होकर वास्तविक लोकतंत्र के लिए आवाज उठाने की, संघर्ष करने की और वास्तविक लोकतंत्र लागू कराने की। जो एकता व संगठित होने पर ही संभव हैं।
तो आइए हम ""जनशक्ति"" के साथ एकत्रित हो, संगठित हो और वास्तविक लोकतंत्र लागू कराने के लिए संघर्षरत हो। निश्चित ही हमें परिणाम सार्थक ही मिलेगा।
रविन्द्र सिंह शाहाबादी
अपने देश भारत व भारतवासियों के लिए जनशक्ति का उद्देश्य व सरकार से मांग:-
1. भ्रष्टाचार की खात्मा के लिए केंद्र स्तर पर सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में, राज्य स्तर पर हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में और जिला स्तर पर जिला कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक कमिटी बने जिसमें अधिकारियों के साथ केंद्र व राज्य स्तर पर विरोधी दल के नेता व जिला स्तर पर रनर सांसद, जिले के अन्तर्गत रनर विधायक (जो दूसरा स्थान पर रहा हो) इसके सदस्य हों। और इस कमिटी का कार्य सभी जनप्रतिनिधियों (वार्ड मेंबर से प्रधानमंत्री तक) व सरकारी अधिकारियों - कर्मचारियों की कर्यो की निगरानी व संपति की नियमित जांच रूटीन की तरह प्रतिवर्ष करना हो। तथा इस कमिटी की निगरानी की जिम्मेवारी में सभी सरकारी अधिकारियों - कर्मचारियों, जनप्रतिनिधियों की सरकारी व निजी मोबाईल सर्विलांस पर रखना हो, तथा सभी कार्यालयों की सीसीटीवी कैमरे की नियमित जांच हो।
2. सभी सरकारी कार्यालयों, संस्थान में व उसके बाहर सीसीटीवी कैमरा आवश्यक रूप से लगें। और डिजिटल उपस्थिति मशीन से सुबह 10 बजे व शाम चार बजे दो बार हाजिरी बनें। एक हाजिरी होने पर अनुपस्थित माना जाए।
3. केन्द्र सरकार व प्रदेश सरकार के अधीन सभी विभागों के सरकारी नौकरियों में रिक्त पड़े सभी पदों को तुरंत भरा जाए।
4. अग्नीविरों की चार साल की नौकरी के बाद अन्य अर्धसैनिक बल व स्टेट पुलिस की बहाली में उम्र सीमा में छुट के साथ कम से कम 16 साल के लिए प्रथम वरियता दिया जाय। आवेदित सेवानिवृत्त अग्नीवीर की बहाली लेने के बाद बचे सीट के लिए ही अन्य युवाओं की बहाली हो।
5. सिक्किम राज्य की तरह पूरे देश में योग्यता के अनुसार "" हर घर एक नौकरी "" योजना लागू किया जाए।
6. टैक्स मुक्त देश करने के लिए निजीकरण को खत्म करना जरूरी है और इसके लिए सालाना 5 करोड़ या उससे अधिक की टर्न ओवर वाली सभी कंपनीयों का मालिकाना हक निजी हाथों से लेकर सरकारी करण किया जाए।
7. टैक्स मुक्त देश व बेरोजगारी को खत्म करने के लिए अनुमंडल स्तर पर सरकार कम से कम दो - दो सरकारी कंपनीयां स्थापित करें।
8. टैक्स मुक्त देश करने व सरकार की आय बढ़ाने के लिए देश के सभी जेलों में एक - एक सरकारी कंपनीयां स्थापित किया जाए, क्योंकि मजदूर के रूप में जेलों में कैदी मौजूद हैं, और उसकी मजदुरी का 50% कैदी के घर दिया जाय वह 50% सरकार ले, क्योंकि कैदीयों पर खर्च सरकार का होता हैं।
9. सरकारी कंपनियों की उत्पादित समान बिक्री के लिए सरकारी एजेंसी, व सरकारी दुकान हो जिसमें सरकारी अधिकारी व कर्मचारी हो।
10. पेट्रोलियम पदार्थो की सभी कंपनियों को निजी हाथों से निकाल कर सरकार के हाथों में लिया जाए। डीजल पेट्रोल व गैस की सभी कंपनियों को सरकारी करते हुए सरकारी पेट्रोल पम्प व सरकारी एजेंसी द्वारा देश में विक्री किया जाए। ताकि इसका पूरा मुनाफा सरकार के हाथो में जाए व देश हित में कार्य हो।
11. गरीबी को खत्म करने के लिए पुरे देश में "न्यूनतम आय गारंटी योजना"" लागू किया जाए।
12. देश में समान नागरिक संहिता यानी समान कानून - समान अधिकार लागू हो (यानी धर्म व जाति के नाम पर अलग - अलग कानून खत्म हो) । सभी कानून भारतीय के नाम पर हो।
13. पूरे देश में स्नातक या समकक्ष तक निशुल्क शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य किया जाए।
14. सभी सरकारी अधिकारी - कर्मचारी व छोटे - बड़े सभी जनप्रतिनिधियों के बच्चो का शिक्षा सरकारी विद्यालय में अनिवार्य किया जाए।
15. देश के सभी पंचायतों में सरकार कम से कम 50 बेड वाला हास्पिटल स्थापित करें व इमरजेंसी सेवा सहित सभी अन्य जरूरी सेवा बहाल करें। तथा सरकारी चिकित्सकों का निजी प्रैक्टिस व निजी क्लिनिक पर पाबंदी लगें।
16. पूरे देश में संसदीय व विधानसभा का चुनाव एक साथ कराया जाए।
17. क्षेत्र के नाम पर कानून बनाने की परंपरा खत्म हो। कोई भी कानून देश के सदन में बने जो समान रूप से देश के सभी क्षेत्रों में लागू हो। कोई भी प्रदेश सरकार स्वयं कानून न बनाए बल्कि केंद्र द्वारा बनाए गए कानून से ही सरकार चलाए।
18. जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने वाला जनता को ""राईट टू रिकॉल"" अधिकार दिया जाए।
19. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, प्रदेश मंत्री और सांसदों - विधायकों की वेतन में 80 % की कटौती किया जाए। और इनलोगो की पेंशन पद्धति खत्म किया जाए।
20. देश के जिस प्रदेशों में विधान परिषद है उसे खत्म किया जाए। क्योंकि जिन प्रदेशों में विधान परिषद नहीं है वहां भी अच्छा से शासन चल रहा है।
21.पार्टी बदलने वाले सांसद व विधायकों की सदस्यता रद्द किया जाए चाहे उनकी संख्या कितनी भी क्यों न हो।
22. जनप्रतिनिधियों के चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित प्रत्याशियों द्वारा खर्च की उच्चतम राशि में 75 % की कटौती की जाए।
23. किसी भी जनप्रतिनिधि या सरकारी कर्मचारी - अधिकारियों पर लगे आरोपों की सुनवाई स्पीडी ट्रायल के माध्यम से 3 महीने के अंदर पूरा कर इसे सजा दिया जाय या आरोप मुक्त किया जाय। ट्रायल के दौरान आरोपी को निलंबित रखा जाए।
24. किसी भी आरोप में किसी को तब तक जेल में न रखा जाए जब तक उस आरोपी पर आरोप सिद्ध न हो जाए। क्योंकि सिर्फ आरोप लगने से कोई अपराधी नहीं हो जाता। यह संविधान कहता हैं सिर्फ आरोपी रहता हैं, और सिर्फ आरोप के आधार पर
विचाराधीन कैदियों को जेल में रखने की परंपरा लोगों की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन हैं। भले इसके लिए स्पीडी ट्रायल ही क्यों न अपनाना पड़े।
25. किसी भी केस का अनुसंधान करने के लिए सभी जिला स्तर पर एक कमिटी बने जिसमें जिला जज द्वारा नियुक्त दो मजिस्ट्रेट, जिले का दो वरिष्ठ अधिवक्ता, जिले का सांसद - विधायक, रनर सांसद - रनर विधायक, जिले का चेयरमैन और उपचेयरमैन, केस का आई ओ, दो वरिष्ठ प्रोफेसर और जिले का पुलिस अधीक्षक सदस्य हो। क्योंकि स्टेट पुलिस भ्रष्टाचार का प्रतीक हो चुकी हैं, और सिर्फ मनमानी कर रही हैं, इस कमिटी के गठन व कार्य से किसी को गलत ढंग से फसाने की परंपरा खत्म होगी।
26. सरकारी कार्य में बाधा डालने पर लगने वाली धारा 353 को खत्म किया जाए, क्योंकि यह लोगो की स्वतंत्रता का अधिकार का हनन हैं और सरकारी अधिकारी कर्मचारी को मनमानी करने की छूट के रूप में आजादी हैं।
27. पूरे देश के किसानों, मजदूरों और छोटे छोटे व्यापारियों का 3 लाख तक का ऋण माफ किया जाय।
28. पूरे देश में मजदूरों को काम करने की समय 8 घंटा सख्ती से लागू करते हुए सरकार 8 घंटे का न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करें। और 8 घंटे से ज्यादा काम लेने वाले कंपनियों, संस्थानों का लाइसेंस खत्म किया जाए।
29. आंगनबाड़ी सेविका - सहायिका, आशा, ममता और कोरोना काल में सरकार द्वारा बहाल की गई नर्सो को जिसे सरकार द्वारा हटा दिया गया है को स्थाई 60 साल की सरकारी नौकरी का दर्जा देते हुए कम से कम 15 हजार वेतन निर्धारित किया जाए।
30. जनवितरण प्रणाली के दुकानदारों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देते हुए कम से कम 15 हजार मासिक वेतन निर्धारित करें व जनवितरण प्रणाली के दुकान में भी सीसीटीवी कैमरा आवश्यक रूप से लगें।
टिप्पणियाँ