क्रांति के द्वारा बदली जा सकती भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था: शाहबादी।
क्रांति के द्वारा बदली जा सकती भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था: शाहबादी
संविधान निर्माताओं ने संविधान निर्माण के समय ही अपने यानी नेताओं के पक्ष में विशेष नियम बनाए , जो आज राजनीति का व्यवसायीकरण करते हुए भ्रष्टाचार का मुख्य जननी व संरक्षक बन गया है। ऐसे दोहरी नियमों को बदलना होगा, पर सदन में जाने वाले नेता बदल नहीं पायेंगे। हां क्रांति द्वारा बदल सकती हैं। उक्त बातें जनशक्ति के संयोजक सह राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र सिंह शाहाबादी ने कहा। उन्होंने आगे कहा कि
नेताओं के लिए दोहरी नीति का कुछ उदाहरण.... हैं जो आप लोग देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसी भ्रष्ट व व्यवसायिक राजनीतिक व्यवस्था कायम हैं देश में.....
1. राजनीति में शिक्षा की अनिवार्यता नहीं।
2. सांसद विधायक मंत्री रहते हुए भी चुनाव लड़ना, क्योंकि मासिक वेतन और पेंशन मिलने के बाद भी सांसद विधायक मंत्री लाभ का पद नहीं है। जबकि एक चपरासी की नौकरी भी लाभ का पद हैं।
3. सारे हुए नेताओं को एडजस्ट करने के लिए विधान परिषद की व्यवस्था। जबकि सभी राज्यों में विधानपरिषद नहीं है बल्कि सिर्फ सात राज्यों में ही विधानपरिषद हैं। यानी बिना विधानपरिषद के भी शासन चल सकता है जैसे बाकि के अन्य राज्यों में चलता हैं।
4. जनता को राईट टू रिकॉल का अधिकार नहीं देना।
5. राजनीत में झुठा प्रल़ोभन देकर सत्ता प्राप्त करने के बाद वादे से मुकर जाने पर कोई पाबंदी नहीं। ऐसी ही जनता करें तो धारा 420 का मुजरिम होती है।
6. गरीब भारत में सांसद विधायकों को वेतन के रूप में बड़ी राशि और सेवा निवृत्त के बाद आजिवन पेंशन। जबकि अधिकांश नौकरीयों से पेंशन खत्म हो चुकी हैं।
7. आप दो जगहों पर मतदान नहीं कर सकते पर राजनेता दो जगहों से चुनाव लड़ सकते हैं।
8. जेल में बंद विचाराधीन कैदी मतदान नहीं कर सकते पर राजनेता जेल में बंद होने पर भी एक नहीं दो दो जगहों से चुनाव लड़ सकते हैं।
इसके अलावा भी अन्य खामीयां हैं।
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