(जनशक्ति खबर)जब सुभाषचंद्र बोष ने एक बिदेशी महिला एमिली को दे दिया था दिल।कर ली थी शादी।लेकिन भारत सरकार में उसे नही मिला सम्मान।
(जनशक्ति खबर)जब सुभाषचंद्र बोष ने एक बिदेशी महिला एमिली को दे दिया था दिल।कर ली थी शादी।लेकिन भारत सरकार में उसे नही मिला सम्मान।(उपेन्द्र सिंह)आजादी की अमृत महोत्सव------देश का ऐसा कोई नही होगा जो आजादी के दीवाने,आजाद हिंद फौज के गठन करनेवाले युवाओ को प्रेणास्रोत सुभाषचंद्र बोष के बारे में नही जानता होगा।लेकिन बहुत सारे ऐसे लोग भी है जो इनकी प्रेमकहानी और इनकी पत्नी के बारे में जानते होंगे।तो आइये जानते है।इनकी प्रेम कहानी-----------------इस प्रेम कहानी को जानने के लिए आपसभी को साल 1934 की ओर ले चलते है।जब सुभाषचंद्र बोष पहली अस्ट्रिलियन युवती एमिली से मिले थे।1932 में सविनय अविज्ञा आंदोलन के दौरान जेल में बन्द सुभाषचन्द्र बोष की तबियत खराब हो गईं।जिसमे ब्रिटिश सरकार ने उन्हें निर्वासीत कर दिया था।लिहाजा उनको इलाज के ब्रिटिस सरकार ने 1934 में यूरोप भेज दिया।हलाकि इलाज अपने पैसे से करवाना पड़ा।उन्हें बियाना में रहने की सलाह दी गईं थी ताकि उनका स्वास्थ्य लाभ हो सके।उन्होंने वहा से भारत के कांग्रेस नेताओ और अपने साथियो से लागतात संपर्क में थे।उनसभी को हमेशा पत्र लिख रहे थे। उन्होंने तय किया कि यही रहकर भारत की आजादी की बिगुल फूंकते रहेंगे।उन्होंने तय किया कि बियाना में इलाज की दौरान यूरोप में रह रहे भारतीय छात्रों को आजादी की लड़ाई के लिए एकजुट करेंगे। इसी दौरान एक यूरोपीयन प्रकाशक ने द इंडियन स्ट्रगल किताब लिखने का काम सौंपा।इसके लिए उन्होंने एक सहयोगी की जरूरत हुईं---------जो अंग्रेजी जानती हो।वही उनके एक मित्र ने एक ऑस्ट्रेलियन युवती एमिली से मिलवाए।एमिली एक 24 एक खूबसूरत पढ़ी लिखी लड़की थी।जो अंग्रेजी में टाइप भी जानती थी।उन्हें नौकरी की भी जरूरत थी।सुबशचंद्रबोषः ने ऐमिली को बतौर अपना सहायक के रूप में रख लिया। जिससे एमिली ने उनके बतौर सहायक के रूप में काम करने लगी।काम के दौरान वो एक दूसरे के करीब आए। दोनों एक दूसरे को चाहने लगे।उन दोनों में प्यार हो गया।अब वो एक साथ जीने मरने की कसमें खाने लगे।इस दौरान यूरोप में दोनों एक साथ कई यात्राएं की। सुभाषचन्द्रबोषः ने 1936 में भारत लौटे। लेकिन एमिली के प्यार में पागल सुभाषचन्द्रबोषः लगातार भारत से उन्हें पत्र लिखते रहे।।उनके पत्र के कुछ हिस्से--------------------------- 5 मार्च 1936 को ये लिखा पत्र कुछ इस तरह था।। माय डार्लिंग।समय आने पर हीम पर्बत भी पिघलता है।ऐसा भाव मेरे अंदर अभी भी है।मै तुमसे कितना प्यार करता हु मैं अपने आप को लिखने से रोक नही पा रहा हूं। जैसा की हम एक दूसरे को आपस में कहते है की--माय डार्लिंग,तुम मेरे दिल की रानी हो।लेकिन क्या तुम मुझसे प्यार करती हो।श्री बोषः ने आगे लिखा की भनिष्य में पता नही।क्या पता पूरा जीवन हमे जेल में ही बिताना पड़े।मुझे गोली मार दिया जाए।क्या पाता मुझे फाँसी पर लटका दिया जाए।हो सकता है कि मै तुम्हे कभी नही देख पाउ।लेकिन तुम भरोसा करो हमेशा मेरे दिल में रहोगी।Iआगर हम इस जीवन में न मिले तो मेरी सोच और सपनो में रहोगी अगला जन्म में हम दोनों साथ रहेंगे।मैं तुम्हे अंदर की औरत को प्यार करता हू।तुम्हारी आत्मा से प्यार करता हूं।तुम ही एक ऐसी पहली लड़की हो जिसे प्यार किया।सुभाषचंद्र बोषः ने एमिली को पढ़कर नष्ट करने के लिए लिखी थी।लेकिन एमिली ने इसे संभाल कर रखा था।फिर दोनों में इतना प्रेम गहराया की नेताजी ने ऐमिली से 1937 में शादी कर ली।ऐमिली ने एक ससुराल को चुना जहा बहु के आगमन पर कोई मंगल गीत गया न बच्चे की जन्म पर सोहर।नेताजी शादी के सात साल में महज तीन साल ही ऐमिली के साथ रह चुके।इस दौरान प्रेम की निशानी में 29 नवम्बर 1942 को एक बेटी को जन्म हुआ।जिसका नाम अनीता रखा गया।इटली की क्रन्तिकारी नेता गैरीबाल्डी के बर्जिली मूल की पत्नी उसके साथ कई युद्ध में शामिल हुई।उस दौरान उनकी पहचान एक बहादुर महिला होने में लगा।नेताजी ने बियाना में अपनी पत्नी और बेटी को छोड़ देश की आजाद कराने के लिए आ गए जहाँ 1945 में एक विमान हादसा में लापता हो गए। ऐमिली अपनी जीवन यापन के लिए एक टेलीफोन कंपनी में काम करने लगी।---------नेताजी की पत्नी ऐमिली को भारत में नही मिला उचित सम्मान।भारत तब तक आजाद हो चूका था।ऐमिली चाहती थी की वे एक बार भारत में जाए। जिस भारत की आजादी के लिए उनके पति जीवन न्योछावर कर दिया था। लेकिन उस समय के मौजूदा सरकार ने उन्हें वीजा तक नही दिया।आखिर बहुत बेहद कठिनाइयों में किसी तरह चकाचोंध से दूर रहकर अपनी मार्च 1996 में प्राण त्याग दी।
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