जेपी को ठगा उनके राजनीतिक अनुयायियों ने, नहीं लागू किया "राईट टू रिकॉल" का अधिकार: शाहाबादी।


 जेपी को ठगा उनके राजनीतिक अनुयायियों ने, नहीं लागू किया "राईट टू रिकॉल" का अधिकार: शाहाबादी



संपूर्ण क्रांति के दौरान जिन "राईट टू रिकॉल" (जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार) के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने संघर्ष किया उस संघर्ष को उनके राजनीतिक अनुयायियों ने मजबूती से अंजाम तक पहुंचाया और सरकार को सत्ता से बेदखल किया। आज बिहार सहित संपूर्ण भारत की लगभग 90% राज्यों सहित केंद्र में भी लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के अनुयायियों का ही शासन हैं, पर बिहार सहित किसी भी राज्य की सरकार या केंद्र की सरकार कोई भी इस "राईट टू रिकॉल" को न तो लागू कर रही है और न ही इस पर चर्चा ही कर रही है, उनके सभी अनुयायियों ने मिलकर जनता के साथ अपने राजनीतिक गुरु जेपी को भी ठगने का काम किया है। उक्त बातें जनशक्ति के संयोजक सह राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र सिंह शहाबादी ने कही। उन्होंने आगे कहा कि  ये लोग जनता को तो छोड़िए अपने गुरु जेपी के भी नहीं हुए। क्योंकि लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी का ये सपना था कि "राईट टू रिकॉल" का अधिकार अवश्य लागू होना चाहिए, क्योंकि सही मायने में असली लोकतंत्र "राईट टू रिकॉल" लागू होने के बाद ही लागू होगा। फिर जेपी के अनुयायी क्यों नहीं चाहते कि देश में असली लोकतंत्र लागू हो। जबकि संपूर्ण क्रांति के समय आज के लगभग सभी सत्ताधीश जेपी के साथ कंधा से कंधा मिलाकर संघर्ष किए थे। तो क्या इन लोगों का संघर्ष जनता और जेपी को ठगने के लिए ही था। आखिर क्यों जेपी के सत्ताधीश अनुयायी "राईट टू रिकॉल" का अधिकार लागू करने से डरते हैं। जब डरना ही था तो जेपी का साथ क्यों दिए।

हम जेपी के इन सभी सत्ताधीश अनुयायियों से मांग करते हैं कि आपलोग बहुत दिनों तक जनता और जेपी को ठग लिया। अब तो कम से कम "राईट टू रिकॉल" लागू कर जनता को उनका अधिकार व जेपी को सच्ची श्रद्धांजलि दे, ताकि स्वर्ग में उनकी आत्मा को शांति मिले वर्ना अब जनता रोड पर निकलेगी व "राईट टू रिकॉल" लागू करवा कर अपने नेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी को सच्ची श्रद्धांजलि देगी।

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